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2.♥शब्द♥ (NEW ON 18.10.10) |
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शब्द
यह एक लघु कथा है। पर इस कथा में एक ऐसे सत्य को बताया गया है, जिसका ज्ञान प्रत्येक मनुष्य
को अवश्य होना चाहिए।
एक किसान की एक दिन अपने पड़ोसी से खूब जमकर लड़ाई हुई। बाद में जब उसे अपनी गलती का अहसास हुआ, तो उसे ख़ुद पर शर्म आई।
वह इतना शर्मसार हुआ कि एक साधु के पास पहुँचा और कहा , ‘‘मैं अपनी गलती का प्रायश्चित करना चाहता हूँ।
साधु ने कहा कि पंखों से भरा एक थैला लाओ और उसे शहर के बीचों-बीच उड़ा दो।
किसान ने ठीक वैसा ही किया, जैसा कि साधु ने उससे कहा था और फिर साधु के पास लौट आया।
लौटने पर साधु ने उससे कहा, ‘‘अब जाओ और जितने भी पंख उड़े हैं उन्हें बटोर कर थैले में भर लाओ।’’
नादान किसान जब वैसा करने पहुँचा तो उसे मालूम हुआ कि यह काम मुश्किल नहीं बल्कि असंभव है। खैर, खाली थैला ले, वह वापस साधु के पास आ गया। यह देख साधु ने उससे कहा, ‘‘ऐसा ही मुँह से निकले शब्दों के साथ भी होता है।’’
किसान साधु की बातों को समझ गया और वहां से चला गया।
इस कथा से हमें यह ज्ञात होता है की तलवार का घाव भरा जा सकता है पर वाणी का घाव नहीं भरा जा सकता।
अत: हमें प्रत्येक शब्द बोलने से पहले यह अवश्य सोचना चाहिए की उस शब्द का दूसरों पर क्या प्रभाव हो सकता है।
यह एक कठिन कार्य अवश्य हो सकता है पर असंभव नहीं।
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डरो मत मैं हूँ न.. |
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